हमारे अधिकतर संस्कार हमारे माता-पिता, विशेषतः माता से प्राप्त होते हैं । यदि माता में नकारात्मक भावनाएँ अथवा कोई मानसिक समस्या रहे तो शिशु को भी गर्भ में वैसे ही संस्कार प्राप्त होते हैं । माता शिशु के संस्कार तैयार करती हैं । अतएव माता को प्रथम गुरु कहते हैं ।