यदि हम जीवन में सन्तुलित रहना चाहते हैं, हमें अपने अहङ्कार की प्रतिक्रिया के विषय में सतर्क रहना होगा । अपनी भावना एवं अहङ्कार की समीक्षा करने की आदत बना लेनी चाहिए । तब हम उन पर नियन्त्रण कर पाएँगे एवं भावना के आवेश में न आकर अपनी प्रितिक्रिया का निश्चय कर पाएँगे ।