जब सम्बन्ध तनिक भी गहरा नहीं होता है, तब निरन्तर चिन्ता, संशय एवं असुरक्षा का भाव होता है । जब हम आतम्विश्वासपूर्ण नहीं होते हैं, तब हम अन्य व्यक्ति पर भी विश्वास नहीं कर पाते हैं । जब भगवान् पर श्रद्धा होती है, तब आत्मविश्वास स्वाभाविक रूप से हो जाता है ।