प्रश्न: भौतिक उद्देश्यों के लिए तुलसी के पत्तों का उपयोग करने से बचने के लिए मैं आपसे तुलसी के बारे में पूछना चाहता हूं। मैंने प्रायः सुना है कि वनस्पति विज्ञानियों तुलसी को Ocimum sanctum कहते हैं । अन्य स्रोतों Ocimum tenuiflorum भी कहते हैं । कुछ लोग इस सूची को अन्य Ocimum प्रजातियों, उदाहरण के लिए, वन तुलसी (Ocimum gratissimum), आदि तक विस्तारित करते हैं ।
शास्त्र के उद्धरणों में जो साधारणतः श्रीमति तुलसी देवी की महिमा का वर्णन करने के लिए दिए जाते हैं, तुलसी और तुलसी की विभिन्न प्रजातियों (जिनकी संख्या लगभग 35 है) के मध्य बाह्य भेद का कोई वर्णन नहीं है। इसका अर्थ है कि या तो अन्य वैष्णव शास्त्रों में यह सटीक विवरण है या कोई भी तुलसी की प्रजाति तुलसी है !
यदि तुलसी की विभिन्न प्रजातियाँ पौधों के शरीर में केवल कुछ अनुकूलित जीव हैं, तो शास्त्र सटीक विशेषताएँ प्रदान करेंगे जिसके द्वारा हम तुलसी देवी के शरीर और साधारण पौधों के मध्य भेद कर सकते हैं – तुलसी की ३५ विभिन्न प्रजातियाँ – बद्ध-जीव।
उत्तर: शत्र निश्चित रूप से तुलसीजी की सभी प्रजातियों के विषय में नहीं अपितु जो अधिकतर जानी जाती हैं उनका वर्णन कर रहे हैं, । संस्कृत में शब्द का रूढ़ि अर्थ अर्थात् प्रचलित अर्थ होता है। उदाहरण के लिए कृष्ण शब्द के अनेक अर्थ हैं परन्तु रूढ़ी अर्थ या प्रचलित अर्थ भगवान कृष्ण, नन्द और यशोदा के पुत्र, गायों को चराने वाले हैं । प्रचलित अर्थ वह है जो शब्द सुनते ही लोगों के मन में आ जाता है।
इस समझ के अनुसार शास्त्र तुलसी की सभी प्रजातियों का वर्णन नहीं कर रहे हैं, अपितु उनका जिनकी हम भगवान् की पूजा में उपयोग करते हैं, जिन्हें वैष्णवों द्वारा अपने घरों में अधिकतर रूप से पूजा जाता है। यह साधारणतः दो प्रकार की होती हैं – कृष्ण तुलसी और राम तुलसी। यह मेरी समझ है।
प्रश्न: आपके उत्तर के लिए धन्यवाद! मैं आपसे विस्त्र्तित उत्तर के लिए पूछता हूँ । जब आपको कुछ आयुर्वेदिक दवा लेने की आवश्यकता होती है अथवा आप कोई साबुन खरीदते हैं और आप देखते हैं कि इसमें तुलसी है (या “तुलसी” से उनका जो भी मतलब है), क्या आप यह दवा लेते हैं अथवा इस साबुन का उपयोग करते हैं ?
उत्तर: उपयोग नहीं करना ही बेहतर है। आखिरकार उनके लिए सदैव एक विकल्प होता है। तो अपराध का जोखिम क्यों उठाएं ?
प्रश्न: एक अन्य प्रश्न है । यह स्पष्ट है कि हम कृष्ण तुलसी और राम तुलसी की पूजा करते हैं। परन्तु वे कौन सी सटीक विशेषताएँ हैं जिनके द्वारा हम कृष्ण तुलसी और रामा तुलसी को अन्य किस्मों से अलग कर सकते हैं, जो कभी-कभी प्रायः समान दिखती हैं ? उदाहरण के लिए, यदि हम कृष्ण तुलसी और राम तुलसी की तस्वीरों के लिए ऑनलाइन खोज करते हैं, तो हम देखेंगे कि चित्र खींचने वाले प्रायः तुलसी की सही पहचान में गलती करते हैं…
यदि एक को दूसरे से अलग करने का कोई सटीक तरीका नहीं है, तो आम तौर पर लोग सत् (सत्य, वास्तविक) को असत् (असत्य) के साथ भ्रमित करेंगे।
उत्तर: मुझे लगता है कि मैं आपको वास्तविक पौधे दिखाकर ही पहचान करा सकता हूँ । मेरे पास इसे शब्दों में व्यक्त करने का कोई तरीका नहीं है। प्रत्यक्ष अनुभव से ही कुछ विषय सीखे जाते हैं।